KAWAD YATRA 2025 - KAWAD YATRA 2025 IN HINDI - कब से शुरू होगी कांबड यात्रा |

KAWAD YATRA 2025 - KAWAD YATRA 2025 IN HINDI - कब से शुरू होगी कांबड यात्रा |

कावड़ यात्रा एक धार्मिक यात्रा होती है जो भगवान शिव के भक्तों द्वारा सावन के महीने में की जाती है इसमें भक्त पवित्र नदियों से गंगाजल भरकर उसे अपने नजदीकी शिव मंदिर मे शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं इस दौरान में भोले बम का जयकारा लगाते हुए पैदल यात्रा करते हैं इस समय भगवान शिव के भक्तों को कावड़िये कहा जाता है यह यात्रा भगवान शिव के प्रति प्रेम भक्ति और समर्पण को दर्शाने के लिए की जाती है सावन का महीना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय होता है इस गंगजल लाकर शिवलिंग पर जल चढ़ाना बहुत पुण्यकारी माना जाता है इस यात्रा में भक्त कठिन नियमों का पालन करते हैं जैसे पैदल चलना, व्रत रखना, ब्रह्मचर्य का पालन करना आदि यह एक प्रकार की तपस्या मानी जाती है |

KAWAD YATRA 2025 - KAWAD YATRA 2025 IN HINDI - कब से शुरू होगी कांबड यात्रा |



:- कांवड़ यात्रा क्यों की जाती हैं |
👉 यह यात्रा भगवान शिव के प्रति प्रेम भक्ति और समर्पण को दर्शाने के लिए की जाती है और इस यात्रा से भगवान शिव बहुत प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मन्नते पूरी करते है |

:- कावड़ का क्या मतलब होता है |
👉 कावड़ एक लकड़ी की छड़ी होती है जिसके दोनों सिरो पर गंगा जल से भरे कलश या लोटे लटकाए जाते हैं गंगाजल से भरे कलश या लोटे को लाकर शिवलिंग पर जलाभिषेक किया जाता है

:- कावड़िये गंगाजल कहां से लाते हैं |
👉 भक्त आमतौर पर गंगाजल हरिद्वार, गंगोत्री, गोमुख, कछला या किसी अन्य पवित्र गंगा घाट से जल भरते हैं |

:- कावड़ का क्या मतलब होता है |
👉 कावड़ एक लकड़ी की छड़ी होती है जिसके दोनों सिरो पर गंगा जल से भरे कलश या लोटे लटकाए जाते हैं गंगाजल से भरे कलश या लोटे को लाकर शिवलिंग पर जलाभिषेक किया जाता है |

Kawad Yatra Ka Itihaas -कावड़ यात्रा का इतिहास |

कावड़ यात्रा का उल्लेख पुराणों और हिंदू धार्मिक ग्रंथो में पढ़ने को मिलता है इस यात्रा का संबंध भगवान शिव के नीलकंठ रूपी से होता है जब समुद्र मंथन के समय हलाहल विष निकला तो सारी सृष्टि संकट में पड़ गई थी तब भगवान शिव ने सृष्टि को बचाने के लिए वह विष पी लिया बिष अत्यंत गर्म और जहरीला होने के कारण भगवान शिव का गला नीला पड़ गया और तब से भगवान शिव को नीलकंठ कहने लगे जव देवताओं और भक्तों ने उन्हें शांत करने के लिए गंगाजल अर्पित किया तब से यह परंपरा बनी कि शिवलिंग पर जल चढ़ाना शुभ और पुण्य दायक होता है और इसी परंपरा से कावड़ यात्रा की शुरुआत मानी जाती है  

कावड़ यात्रा के नियम - Kawad Yatra Ke Niyam 

👉 यात्रा के दौरान शुद्ध भोजन, ब्रह्मचर्य और मर्यादा का पालन करना जरूरी होता है |
👉 मांस, मदिरा, तंबाकू आदि से पूर्णता दूर रहना होता है |
👉 विश्राम के समय जल को स्टैंड का सहारा दे जमीन पर ना रखें |
👉 यात्रा के दौरान ( बोल बम ) ( हर हर महादेव ) ( बम बम भोले ) जैसे जयकारे लगाते हुए चलना चाहिए | 
👉 अधिकतर कांवड़िये नंगे पांव चलते हैं यह आस्था और तपस्या का प्रतीक होता है |
👉 गंगाजल को अपने गंतव्य पर पहुंचकर सीधे शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए | 

Kawad Yatra 2025 Start and End Date - कांवड़ यात्रा कब शुरू और कब समाप्त होगी 

पंचांग के अनुसार, 2025 में सावन माह का आरंभ 11 जुलाई को रात 2 बजकर 6 मिनट से शुरु होगी और इसका समापन 9 अगस्त को होगा। उसी दिन यानी 11 जुलाई से ही कांवड़ यात्रा की शुरुआत भी हो जाएगी।


सावन की शिवरात्रि कब है - Sawan Shivratri 2025 Date and Time 

सावन कि शिवरात्रि सावन माह कि कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनायी जाती है 2025 में चतुर्दशी तिथि 23 जुलाई को सुबह 4 बजकर 39 मिनट से शुरू होगी और 24 जुलाई की रात 2 बजकर 28 मिनट पर समाप्त होगी सावन के महिने मे गंगाजल चढ़ाने का सबसे अच्छा, अहम और मुख्य दिन सावन शिवरात्री का दिन माना जाता है। साबन शिवरात्रि का दिन कांवड़ यात्रियो या कावड़ियो के लिए महत्वपूर्ण दिन होता है। 

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